वैश्विक नागरिकता
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एक
ही
है
दुग्धमेखला
हमारा
।
एक
वैश्विक
नागरिकता
को
साकार
करने ;
त्वरित
संगठित
हों
सर्वत्र
संसार
सारा
।। 1 ।।
वैकुण्ठ
वास
का
आशा
यदि
करते
हैं ;
प्रति
क्षण
प्रति
, पल
प्रत्येक
संसारी
।
करो
कर्म
वही
जिससे
बन
जाये ;
स्वर्ग
सदृश्य
धरती
माता
हमारी
।।
एक
सूर्य
है ,
एक
चन्द्र
है ;
एक
ही
है
दुग्धमेखला
हमारा
।
एक
वैश्विक
नागरिकता
को
साकार
करने ;
त्वरित
संगठित
हों
सर्वत्र
संसार
सारा
।। 2 ।।
वैयक्तिक
वैश्विक
व्यवस्था
से
ही ;
मानवता
का
कल्याण
सदा
सर्वदा
सरल
है
।
परिवारवाद
,
वंशवाद
,
लैंगिकता
सहित ;
समस्त
विवाद
मानवता
के
लिए
गरल
है
।।
एक
सूर्य
है , एक
चन्द्र
है ;
एक
ही
है
दुग्धमेखला
हमारा
।
एक
वैश्विक
नागरिकता
को
साकार
करने ;
त्वरित
संगठित
हों
सर्वत्र
संसार
सारा
।। 3 ।।
श्वास
है
नैतिकता
मानव
धर्म
का ;
पाखण्ड
कभी
नहीं
चित्त
लाना
है
।
परोपकार
,
सात्विकता
,
सदाचार
ही ;
मानव
धर्म
का
समझो
मूल
खजाना
है
।।
एक
सूर्य
है , एक
चन्द्र
है ;
एक
ही
है
दुग्धमेखला
हमारा
।
एक
वैश्विक
नागरिकता
को
साकार
करने ;
त्वरित
संगठित
हों
सर्वत्र
संसार
सारा
।।
4 ।।
श्वपच
कहो
कि
कहो
विप्र ;
ज्ञानयोग
सह
कर्मयोग
ही
फलता
है
।
“ जन्मना जायते
शूद्रः
संस्कारादद्विज
उच्च्यते ” ;
आदिकाल
से
ही
ऋषि
ज्ञानी
कहता
है
।।
एक
सूर्य
है , एक
चन्द्र
है ;
एक
ही
है
दुग्धमेखला
हमारा
।
एक
वैश्विक
नागरिकता
को
साकार
करने ;
त्वरित
संगठित
हों
सर्वत्र
संसार
सारा
।।
5 ।।
इकाई
अखिल
ब्रहमाण्ड
का
बनी
है ;
सृष्टि
से
प्रलय
पर्यन्त
धरती
माता
हमारी
।
सीमाहीन
तथा
सेनाहीन
बनाकर
ही
जगत
को ;
स्वर्ग
सदृश्य
संसार
सृजन
हित
हों
संसारी
।।
एक
सूर्य
है ,
एक
चन्द्र
है ;
एक
ही
है
दुग्धमेखला
हमारा
।
एक
वैश्विक
नागरिकता
को
साकार
करने ;
त्वरित
संगठित
हों
सर्वत्र
संसार
सारा
।। 6 ।।
इकतारा
का
स्वर
झंकृत
करके
संतों
ने ;
मानवता
का
एकात्म
दर्शन
बताया
है
।
“ अर्द्धनारीश्वर ” सह “ अर्द्धांगिनी
” का
आदर्श ;
संतों
ने
आदर्श
दाम्पत्य
जीवन
धर्म
समझाया
है ।।
एक
सूर्य
है ,
एक
चन्द्र
है ;
एक
ही
है
दुग्धमेखला
हमारा
।
एक
वैश्विक
नागरिकता
को
साकार
करने ;
त्वरित
संगठित
हों
सर्वत्र
संसार
सारा
।।
7 ।।
नागरिकता
धरती
माता
का
देकर
प्रभु
ने ;
समस्त
मानव
को
स्वंय
ही
पठाया
है
।
प्रभु
की
प्रेरणा
वैश्विक
नागरिकता
है ;
यह
मानवता
का
मंगलमय
संदेश
सर्वत्र
समाया
है ।।
एक
सूर्य
है
, एक
चन्द्र
है ;
एक
ही
है
दुग्धमेखला
हमारा
।
एक
वैश्विक
नागरिकता
को
साकार
करने ;
त्वरित
संगठित
हों
सर्वत्र
संसार
सारा
।। 8 ।।
नाविक
हैं
भवसागर
के
स्वंय
सदगुरू ;
त्रयताप
विमोचन
करके
सात्विक
प्राणी
का ।
रक्त
संबंध
का
मोह
मिटाकर
प्रज्ञा
से ;
दिल
का
संबंध
बनाते
ज्यों
दूध
पानी
का ।।
एक
सूर्य
है
, एक
चन्द्र
है ;
एक
ही
है
दुग्धमेखला
हमारा
।
एक
वैश्विक
नागरिकता
को
साकार
करने ;
त्वरित
संगठित
हों
सर्वत्र
संसार
सारा
।। 9 ।।
गरिमा
व्यक्ति
का
जब
राजसत्ता
समझेगा ;
शिक्षा , न्याय
, आजीविका ,
आवास
हितकारी
।
शील
, सदाचार ,
सात्विकता
सह
नैतिकता
है ;
मंगलमय
मानव
समाज
का
कीर्तिस्तम्भ
सुविचारी ।।
एक
सूर्य
है ,
एक
चन्द्र
है ;
एक
ही
है
दुग्धमेखला
हमारा
।
एक
वैश्विक
नागरिकता
को
साकार
करने ;
त्वरित
संगठित
हों
सर्वत्र
संसार
सारा
।। 10 ।।
गवाक्ष
अतीत
का
झाँको
बहाया
खून
की
नदियाँ ;
साम्राज्यवाद ,
उपनिवेशवाद , राष्ट्रवाद
के
गरल
ने
।
वैश्विक
नागरिकता
से
नहीं
बहेगा
खून
की
नदियाँ ;
यह
समय
का
सत्य
बताया
है
प्रतिपल
ने
।।
एक
सूर्य
है , एक
चन्द्र
है ;
एक
ही
है
दुग्धमेखला
हमारा
।
एक
वैश्विक
नागरिकता
को
साकार
करने ;
त्वरित
संगठित
हों
सर्वत्र
संसार
सारा
।। 11 ।।
रिआया
है
खुदा
का
नूर
, कुरान
बखान
करते
हैं ;
सोऽहम
का
भेद
वेद
तथा
बाइबिल
ने
गाया
है ।
जेंदअवेस्ता
तथा
गुरू
ग्रन्थ
साहिब
ने
फरमाया ;
“
एक तू ही निरंकार
” में
अखिल
ब्रहमाण्ड
समाया
है
।।
एक
सूर्य
है ,
एक
चन्द्र
है ;
एक
ही
है
दुग्धमेखला
हमारा
।
एक
वैश्विक
नागरिकता
को
साकार
करने ;
त्वरित
संगठित
हों
सर्वत्र
संसार
सारा
।। 12 ।।
रिमझिम
फुहार
वर्षा
का
रंक
राजा
में
हर्ष
भरते
हैं ;
आर्थिक
असंतोष
समस्या
की
जननी
है
।
वैश्विक
नागरिकता
से
हल
सरल
होगा
आर्थिक
असंतोष
का ;
ज्यों
आदर्श
दाम्पत्य
का
मूल
शीलवती
अर्द्धांगिनी
रमणी
है
।।
एक
सूर्य
है , एक
चन्द्र
है ;
एक
ही
है
दुग्धमेखला
हमारा
।
एक
वैश्विक
नागरिकता
को
साकार
करने ;
त्वरित
संगठित
हों
सर्वत्र
संसार
सारा
।। 13 ।।
कथन तथा
कर्म
जब
यथावत
मानव
अपनायेगा ;
प्रतिपल
को
परमात्मा
का
कुबेरकोष
ही
जानेंगे
।
लिखित सम्वाद
सह प्रतिबद्धता को
जीवन
में ;
देवतुल्य
महामानव
सदा
सर्वदा
अमृतफल
ही
मानेंगे
।।
एक
सूर्य
है
, एक
चन्द्र
है ;
एक
ही
है
दुग्धमेखला
हमारा
।
एक
वैश्विक
नागरिकता
को
साकार
करने ;
त्वरित
संगठित
हों
सर्वत्र
संसार
सारा
।। 14 ।।
करूणानिधान
! हे
दयासागर
! हे
रमापति ! तुभ्यम
नमामि !!
कण - कण
में
वैश्विक
मानव समाज
में करूणा
भर
दो ।
क्रूरता , गणिकागामी , नशेड़ी , तामसी
से
त्रस्त
जग
में ;
शीलवान
, शीलवती
, सात्विक
मानव
को
प्रमुदित
कर
दो
।।
एक
सूर्य
है , एक
चन्द्र
है ;
एक
ही
है
दुग्धमेखला
हमारा
।
एक
वैश्विक
नागरिकता
को
साकार
करने ;
त्वरित
संगठित
हों
सर्वत्र
संसार
सारा
।। 15 ।।
तार्किक शिक्षा
सह
स्वतन्त्र
चिन्तन
से
ही ;
नैतिक
आदर्शमय
जीवन
का
सृजन
होता
है
।
ज्ञानयोग
सह
कर्मयोग
प्रतिपल
प्रेरित
करता
है ;
वैसा
ही
पाता
है
, जैसा
कोई
बीज
बोता
है
।।
एक
सूर्य
है
, एक
चन्द्र
है ;
एक
ही
है
दुग्धमेखला
हमारा
।
एक
वैश्विक
नागरिकता
को
साकार
करने ;
त्वरित
संगठित
हों
सर्वत्र
संसार
सारा
।। 16 ।।
ताज
पहनाओ
प्रज्ञा
, सात्विकता
,
पारदर्शिता
का ;
आधार
क्रमांक
को
समस्त
वैश्विक
नागरिकों
के
लिये
अनिवार्य
करो
।
“
बेदिकाराज
” मुदित
रहेंगे
, जब
तकनीकी
विजयधनुष
बनेंगे ;
मंगलमय
वैश्विक
मानव
समाज
के
सुप्रभात
में
पग
धरो
।।
एक
सूर्य
है
, एक
चन्द्र
है ;
एक
ही
है
दुग्धमेखला
हमारा
।
एक
वैश्विक
नागरिकता
को
साकार
करने ;
त्वरित
संगठित
हों
सर्वत्र
संसार
सारा
।। 17 ।।
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